अनंत की अमराइयों से
तादात्म्य स्थापित कर ,
मानवीय जगत को
पावन स्नेह का अवदान देने वाली ,
पलकों में रची -बसी
दिवंगता लाडली बिटिया 'प्रियंका' की पुण्य- स्मृति में
यह अश्रुसिक्त काव्यांजलि...........
दीप की देह में यदि नेह है, जलन भी है।
देह के नेह को श्रृंगार है, कफ़न भी है।
ज़िन्दगी नाम नहीं सिर्फ़ मुस्कुराने का,
उम्र की राह में बहार है, घुटन भी है।
आपके दुख को जानकर मन द्रवित हुआ।
जवाब देंहटाएंदुआगो हूं आप व आपकी बेती के लिये
कभी मन करे तो आएं मेरे ब्लाग पर
http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
परम पिता बिटिया की आत्मा को शांति दे.
जवाब देंहटाएंआप सब ने जिस हार्दिकता के साथ मेरा स्वागत किया है, मेरे दुख में साझेदार बने हैं उसके लिये आभारी हूं. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंaansoo ka qatra bhi shabnum ban jayega
जवाब देंहटाएंsabra karo ye dard bhi marhum ban jayega
hum aapke dard me humdard hain...all the best
मार्मिक। हमारी संवेदनायें आपके साथ!
जवाब देंहटाएंblog jagat men swagat hai.
जवाब देंहटाएंअलबेला जी,अनूप जी,स्वप्न जी और नारदमुनि जी आप सब का ब्लौग पर हार्दिक स्वागत,और धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबे्हतरीन दर्द से सजी रचना के लिये बधाई। यदि शब्द न होते तो एह्सास भी न होता। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है। लिखते रहें हमारी शुभकामनाएं साथ है।
जवाब देंहटाएंPriyanka ji ko meri or se bhi shraddhanjali.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएं